बुधवार, 21 सितंबर 2011

मेरे कृष्णा ! तुम तो मिले हो अपने सुदामा से

मेरे कृष्णा !
तुम तो मिले हो अपने सुदामा से बहाकर ,
अपनी इन अखियन से स्नेह नीर 
त्रिभुवन स्वामी !
धन्य हैं  आप ,जो लुटाते हैं अपने असीम स्नेह का अमृत 
अपने पुकारने वालो पे ,
पर मेरे कृष्णा !
वो दिन मेरे जीवन में कब आयेगा 
जब में धो सकुंगी ,पखार सकुंगी अपने कृष्णा के पग 
पल -पल फूटता हैं ये असीम स्नेह अमृत मेरी अखियन से
और तुम्हे हर क्षण पुकारती हूँ ,
और तुम मुझे कहते हो
पगली मुझे पुकारती क्यों हैं 
में कही भी रहूँ हूँ तेरी हर  सांस के संग 
मेरे कान्हा !मुझे नहीं भाता ये संसार 
मुझे तो अब ले चल अपने संग
श्री चरणों में अनुभूति
 







तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................