गुरुवार, 9 जून 2011

सपने

कितने सपने देखने लगी हैं जागती आँखे ,
स्वच्छ, साफ़ ,सफ़ेद रंगों में ढली हैं ये आँखे ,
दिन में सपने ,हां दिन में सपने 
रोती हुयी आँखे भी,
उम्मीद से सपने पिरोती हैं दिन में ,
कितने खुबसूरत मासूम से सपने ,
मेरे कोस्तुभ धारी !
मेरा हर स्वप्न तुम जानो इसीलिए 
तो किसी कोने से खड़े देख मुझे मुस्काओ
न , कन्हाई !
ऐसे मुस्काते हो तो लाज आती हैं 
तुम्हे देख मन की हर कली खिल जाती हैं |
क्या कहू केसे कहू तुम्हे आज 
बस इतना कहू श्याम
छेड़ दो आज अपनी मुरली का कोई मधुर राग 
सुन बंसी की धुन में खो जाऊं 
हां श्याम आज तो मन तडपत हैं 
कहत हैं में तुम्हरी ही हो जाऊं |

अनुभूति

श्री राम रामशरणं भव राम राम |


मेरे आराध्य!
मेरे राम !
इस संसार मे मेरा जो कुछ भी हें प्रभु आप ही हैं|
कोई दुसरा नहीं ,
इस परीक्षा की घड़ी मे प्रभु आओ मेरे आत्मा के विशवास को साकार करो |
इस असाहय मन मे तेरी ही पुकार
बस इसके सिवा मुझे कोई ज्ञान नहीं,
मेरे राम !
ये ही वंदना आप के श्री चरणों मे प्रभु आज

"श्री राम "
श्री राम राम रघुनन्दन राम राम |
श्री राम राम भरताग्रज राम राम |
श्री राम राम रणकर्कश राम राम |
श्री राम रामशरणं भव राम राम |
श्री रामचन्द्रचरणों मनसा स्मरामि |
श्री रामचन्द्रचरणों वचसा स्मरामि |
श्री रामचन्द्रचरणों शिरसा नमामि |
श्री रामचन्द्रचरणों शरणं प्रपद्ये |
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः |
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्रो |
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु
न अन्यं जाने नैव जाने न |

अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................