ओ कोस्तुभ धारी
गीत गाती हैं आज मन की नगरिया
जब प्रीत मिल जाती हैं बन के सावरियां .
मेरी भक्ति , शक्ति , सभी आप
मेरे कृष्णा श्री चरणों में अनुभूति
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................