सोमवार, 9 मई 2011

प्रार्थना

हे जगदीश्वर !
जो मार्ग मेरा हेँ ,
उस मार्ग पे ले ही आये प्रभु !आप मुझे .
ले आये हो तो अब ,
सदा दे आशीष मुझे थामे रखना .
सारे रिश्ते नाते झूटे है |
एक साचा तेरा साथ ,
तेरा मार्ग |
कमजोर मुझे मत होने देना .
पल-पल मेरी आत्मा का विशवास बन कर साथ देना |
सुनती नहीं ,देखती आई हूँ जिनका कोई नहीं होता उसके लिए 
प्रभु! आप कही सोच रहे होते |
दीजो आशीष बस ये ही विनती हैं ,
तुम्हरे श्री चरणों में 
श्नात मन , धेर्य और विशवास से में इस पथ बड सकूँ |
ये दीजो आशीष राम दास हनुमान!
मेरे पास निष्ठां हो तुम सी 
हे हनुमान  !
जिससे  सदा बिना स्वार्थ करती रहूँ में 
अपने मस्तक के रक्त  बिंदु की तरह
अपने राम का सम्मान |


अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................