प्रेम नहीं माँगता कोई सम्बन्ध
प्रेम तो समर्पण हैं ,
जो सिर्फ देना जानता.
किसी स्वीकारोक्ति की कोई जरुरत नहीं ,
इस असीम अनुराग में ,
तुम कहो ना कहो ,
पर , तुम यही तो धड़क रहे मुझमे सदा ,
तुम तो निराकार
न कभी तुम मरे ना कभी तुम मरोगे,
क्योकि तुम तो जीवित हो मुझमे सदा |
-- अनुभूति