गुरुवार, 28 जनवरी 2010

मेरे राम

निशब्द निशा मै है मन विचलित ,दुंद रहा मन राम, राम

तन, मन सब कुछ राम राम ,

साकार ब्रह्म ,साकार रूप है राम

रग ,रग मै बसे राम ,घट घट मै बसे राम

चहु और बसे कण कण मै बसे राम

राम , राम ,राम

मन की आस बस राम तन का अंत बस राम

तुम ही हो मेरे उद्धार करता , मेरे राम

पाऊ जो जीवन मै दर्शन तुहार

तो धो डालू अशरुओ से चरण तुहार

कब मिलगा ,फल मेरी भक्ति का ,

इस आस मै जीवन रही गुजार

कभी तो इस धरती पे भी तुमको आना होगा एक बार फिर

साकार कर जाना होगा ,जीवन मै भक्तो का उद्धार

मेरे रोम रोम मै बसे भगवान मेरे राम

तुम्हरे दर्श बिन सूना जीवन ,सुनी पड़ी दुनिया मेरी

तोड़ निशब्द निशा को आजा एक बार

देजाओ जीवन मै आशीष ,एक बार फिर

जाओ मेरे राम

जाओ मेरे राम |

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................