मंगलवार, 12 जनवरी 2010

घुटन

दम तोड़ रही है है जिन्दगी एक अजीब सी घुटन मै
तुम क़हा हो ,दूर इस अपनत्व और प्यार से
दम तोड़ चुकी है दिल की हसरते अब ,
तुम्हारे साथ एक बार फिर जी उठना चाहती है
पर तनहा हु मै इस घुटन मै ,आज भी
क्यों साथ के साथ भी महसूस होती है ये घुटन
सोचती हु कोई राम बनकर आजाये ,और इस अहिल्या का भी उद्धार करे
आजाद कर दे इस अहिल्या को भी इस पत्थर की घुटन से
हां जीना चाहती हु मै भी ,आजाद होकर जीवन की इस घुटन से

सिर्फ अपने राम के चरणों मै |



तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................