पथ -प्रदर्शक !
मै नहीं जानती थी ,
सब कुछ इतने कम समय में बदल जाएगा |
एक अल्हड लड़की,
या, मै यूँ काहूँ कि बहती नदी ,
यूँ ठहराव को पा लेगी .
सुकून उसकी सांसो में होगा ,
और जिंदगी उसकी राहों मै .
अगर तुम ना मिलते यूँ मुझे
तो ऐसा नहीं होता .
इतना ही कहूँगी बस,
अपना स्नेह ,ज्ञान और आशीष,
मुझ पर यूँ ही बरसाते रहना ,
मेरे मालिक
मेरे पथ -प्रदर्शक
मै आप को गुरु नहीं कहती ,
क्योकि आप तो साथी भी हो जिन्दगी के
इतना कहूँगी बस
गोविन्द का रास्ता दिखाने वाले भी आप ही हो ,
इसलिए
लाखो बार नमन करती है मेरी आत्मा
आप को
मेरे मालिक
मेरे पथ -प्रदर्शक.
-- अनुभूति
7 टिप्पणियां:
रोचक तथा प्रशंसनीय प्रस्तुति
सुन्दर विषय..अच्छी लगी रचना
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
Anubhuti di kai dino sesister ke pas gya tha indore
isi karan blog par nahi aa saka
खूबसूरत अभिव्यक्ति
सुन्दर ब्लाग उत्कृष्ट कविता बधाईयां
आपकी यह प्रस्तुति कल २८-७-२०१० बुधवार को चर्चा मंच पर है....आपके सुझावों का इंतज़ार रहेगा ..
http://charchamanch.blogspot.com/
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