मेरे माधव !
अनवरत बहते हैं इन आखों से ये आंसू
फिर भी तेरी एक मुस्कान मुझसे ,
मेरी ही जिंदगी की खाहिश किये जाती हैं ,
मुझे कहे जाती हैं ।
अनु !
मेरी अनु !तुम मेरे लिएजी लो ।
लाख दर्द हैं इन आहों में
न कोई मंजिल हैं
न कोई साथी ,न कोई अपना ,न पराया
फिर भी तोहे रूह में बसाए
मेरी जिंदगी मेरे इन ढलते आंसुओं में
एक बड़ी सी मुस्कान खिलाए जाती हैं ...........
मेरी इस मुस्कान से
मौत भी मुझसे डरा करती हैं
जानते हो क्यों ! माधव
क्योकि वो जानती हैं इस रूह में तुम बसते हो
और इन लबो पे तुम खिला करते हो ......
में जानती हूँ अगर में टूट गयी तो
तुम्हारी आँखों से मेरे लिए देखे खाब कभी पूरा नहीं होंगे ...........
इसीलिए बेलोस मोजो की तरह में टूटती तो हूँ
लेकिन फिर जुड़ा करती हूँ अपने असीम स्नेह समर्पण के साथ ..
में नहीं जानती ये संसार क्या हैं ?
हां इतना जान चुकी हूँ
सबका मोल एक हस्ताक्षर से ज्यादा नहीं .............
हर अहसास ,हर समर्पण बिका करा करता हैं चंद पन्नों के मोल ....
हर पल जिंदगी एक नया सबक सिखाती हैं
फिर भी में हूँ की इन लबो से सबके दामन की खुशियों के लिए दुआ किये जाती हूँ
इन दुआओं में मुझे दर्द नहीं होता ,बल्कि मेरा माधव
मुस्काए सब देख रहा होता हैं
वो जानता हैं मैं
उसकी की बनाई कृति हूँ !
और मन ही मन मेरे अगले इम्तिहान की योजना बनाए बैठा होता हैं ,
आज मुझे ,
मेरे माधव !
वैसे ही याद आते हो
जैसे तुम दोडे चले आये थे,
अपने सुदामा को गले लगाने
मुझे भी गले आओगे न तुम एक दिन.................
तुम्हारा ये ही स्नेह तो मेरी अनुपम निधि हैं माधव !
इसीलिए तो में सबसे बड़ी धनवान ,
और इसीलिए खिलती हैं मेरे होठो पे ये तुम्हारे असीम स्नेह से मुस्कान .........
श्री चरणों में अनुभूति
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
वाह....
हर अहसास ,हर समर्पण बिका करा करता हैं चंद पन्नों के मोल ....
हर पल जिंदगी एक नया सबक सिखाती हैं
फिर भी में हूँ की इन लबो से सबके दामन की खुशियों के लिए दुआ किये जाती हूँ
बेहतरीन रचना....मन को छू गयी.
अनु
मौत भी मुझसे डरा करती हैं
जानते हो क्यों ! माधव
क्योकि वो जानती हैं इस रूह में तुम बसते हो
और इन लबो पे तुम खिला करते हो ......
बहुत सुंदर ...
भक्ति भाव से परिपूर्ण सुंदर रचना !
सादर !
माधव के भक्ति भाव से ओतप्रोत बहुत सुन्दर रचना
भक्ति रस का संचार करती हुई ...बधाई आपको
सुंदर अभिव्यक्ति !
तुम्हारा ये ही स्नेह तो मेरी अनुपम निधि हैं माधव !
इसीलिए तो में सबसे बड़ी धनवान ,
और इसीलिए खिलती हैं मेरे होठो पे ये तुम्हारे असीम स्नेह से मुस्कान .........
बहुत सुंदर ..
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