मेरे माधव !
लाज से में मर ही नजाऊं ,
जो थामो तुम ये हाथ
मेरे मुरली मनोहर !
मै तो तेरी मुरली की धुन से ही
अपनी सुध बुध गवाऊं .
में दीवानी पग पायल पहन
आत्मा के इस आनंद मिलन पे
सुख का नीर बहाऊ,
कुछ और नहीं बचा जो
में अब न कहने को जो में कह जाऊं
श्री चरणों में अनुभूति