गुरुवार, 18 अगस्त 2011

रूठी हुयी जिन्दगीकी खूबसूरती


सोचा नहीं था रूठी हुयी जिन्दगी भी कभी इतनी खुबसूरत दिखाई देती हैं
मेने तुझे देखा तो ये जाना ,की तेरी कायनात की खूबसूरती यूँ बयानी होती हैं |

मिलो दूर के फासलों पे जब तुम्हारे लबो पे खिलती ये मुस्कराहट की सदा सुनाई देती हैं
तुम्हे क्या पता .बिना पायलो की भी इन कदमो में पायलो की आहट सुनाई देती हैं |


मेंजानती हूँ दूर बेठे कही तुम सोच के कही मुझे अपने अंतस से मुस्कुराते होगे
झनक हैं ये मेरी पायलो की फिर भी दुनिया की नजरो से इसे छिपाते होगे


अनुभूति

मै ज़िंदा हूँ

आज हर तरफ जिन्दगी की सदा सुनाई देती है
मै ज़िंदा हूँ हर तरफ ये आवाज अपने ही अंतस से सुनाई देती हैं
तेरी बेवफाई में कही -कही खुदाई दिखाई देती हैं
किसी को कह के खुदा कोई दिल खुदा नहीं माना करता
खुदाई तो रूह में साफ़ दिखाई देती हैं
फर्क इतना हैं देखने वाले को पत्थर में भी खुदा दिखा करता हैं
बात ये तेरी मेरी रूह हैं की हैं तो रोक सके,
तो रोक ले मुझे मेरी हर सास में अपना खुदा दिखाई देता हैं |
रुहों पे कँहा किसी की हुकूमत हुयी हैं
जिन्दगी ने जब से जीना सिखा तेरी हर बात में खुदाई बसी हुयी देखि हैं
तेरे कदमो की इबादत के सिवा कँहा कोई इबादत मेने सीखी
में तो वो हूँ जेसा तुझे देखा जाना ,तुझसे ही ये इबादत सीखी
मेरी जिन्दगी हैं तेरी इबादत में ही आबाद
मेने कँहा दूसरी कुरान की कोई आयत सीखी
तेरी
कड़वाहट भी शहद से मीठी फर्क इतना हैं
तुमने कभी इस मीठास को चखा ही नहीं
तुझे क्या पता इस कडवाहट में भी
तेरी पाकीजा रूह का अक्स मेरे नाम से झलकता हैं |
अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................