बुधवार, 22 जून 2011

मेरे कृष्णा !तेरी पनाहों में

मेरे कृष्णा !
तेरी पनाहों में जो  आ जाएँ 
वो सब कुछ पा जाएँ 
ये जिस्म रहे न रहे तेरी इबादत में 
पर हर घड़ी मेरी रूह ,
मेरी हर सांस से तेरी इबादत करती हैं |
मेरे कोस्तुभ स्वामी !
ये रास्ता मुझे खुद आप ने ही दिया हैं मुझे 
इन रास्तो पे बड़ने का होसला न जाने कब से 
रूह अपने में संजोये बेठी हैं |
बाकी हैं कृष्णा !
अभी स्वप्न सारे आप की आँखों के
पूरा करना ही इबादत हैं मेरी 
अपनी रहमतो का साया मुझपे यूँ ही 
लुटाये रखना ,
रूह को जब कान्हा !
तेरी मेरे होसलो पे यकीं आजाये
मुझे पुकार लेना 
सूरज उगना बदल सकता हैं 
धरती अपनी फितरत बदल सकती हें 
लेकिन ये रूह तेरे कदमो की इबादत में 
सदा यूँ ही मोजूद रहगी |

अनुभूति



Lata - Hamein Aur Jeene Ki - Agar Tum Na Hote [1983]


मेरे कोस्तुभ धारी !मेरे कृष्णा !
जीवन तेरा हैं तुझ्कोअर्पन
बस यूँ ही मुझे मार्ग दिखाते चलो |
आप के श्री चरणों में कोटि-कोटि नमन
अनुभूति

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................