बुधवार, 13 अप्रैल 2011

नव सृजन ,


जीवन पथ -पथ
कभी फूल  ,
कभी कांटे ,
कभी हँसते दो नयन ,
आज  है  ये नव सृजन 
तुम्हरा, मेरी प्रियतम 
निखर गया , मन दर्पण ,
कहता तो समझती ही नहीं ,
इसलिए करके दिखला दिया 
तुम्हारा ये नव सृजन |

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................