सोमवार, 11 अप्रैल 2011

अजीब सा इत्तफाक

अजीब सा इत्तफाक ,
ये मेरे साथ क्यों हुआ जिंदगी ?
बहुत दूर रहने वाला,
एक पल में साँस क्यों हुआ जिंदगी?

जब जिंदगी बन छाया वो मुझपे ,
तो जिंदगी भी  बहार बन गयी ,
और आज में मौत की सजा में क्यों हूँ जिंदगी ?

ईमानदारी और वफ़ा की क्या सजा यही है ?
सोचती हूँ मैं  भी,
दूसरों की तरह क्यों नहीं बन सकी बेईमान ,
इस जिंदगी में?
अजीब सा इत्तफाक ,
ये मेरे साथ क्यों हुआ जिंदगी ?

बहुत  दूर रहने वाला एक आस क्यों हुआ जिंदगी मैं ?


तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................