इन्तजार !!
सोलह बरस की उमर से ,
पच्चीसवें बसंत का इन्तजार ,
ना जाने किन -किन हसरतो,
को मन के किसी कोने में छुपाए रखता हैं |
भीगी मेहंदी से रची
हथेलियों की खुशबू का इन्तजार ,
या मन ही मन
उनसे मिलने का इन्तजार |
हां ,
जीवन का हर पल
किसी न किसी ख़ुशी का इन्तजार ही तो है |
-- अनुभूति