मंगलवार, 29 नवंबर 2011

में हूँ दासी अपने राम की !

मोहे शपथ
करुणा निधान की 
में हूँ दासी अपने राम की ,
में सदा  ही पाऊं
इन अखियन में  
 सदा निश्छल धवल छबी 
अपने राम की
रोक सके न संसार का कोई मोह 
मेरी आत्मा का स्नेह बंधन 
जो मिले मेरी आत्मा  
अपने राम के चरणों से 
तो मे पाऊं आत्मा का सुख अपार 
मेरे राम !
करुणा निधान 
मोहे शपथ अपने राम 
में सदा करू हर भोर चरण प्रणाम 
तोरे नाम 
मेरे राम ! 
श्री चरणों में अनुभूति  



 
 

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निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................