गुरुवार, 17 नवंबर 2011

वो जो मेरा कहने को अपना हैं !


वो जो मेरा कहने को अपना हैं !
वो सँवारना चाहता हैं ,उसके सपने .
देना चाहता हैं प्यार भरा आंगन ,
वो आँगन ,
जो मेने सींचा था
अपने स्नेह की एक –एक बूंद से ,
वो कहता हैं की उसे प्यार हो गया हैं !
शायद मुझे 
बहुत पहले ही अंदाजा हो गया था
         उसे मुझसे प्यार कभी था ही नहीं   ,,,,,,,,,,,,,,,
अनुभूति

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निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................