रविवार, 19 जून 2011

मेरी लाल परी

छोड़ आई हूँ छोटी सी परी को,
छोटी बहन को ,
अपने घर हां अपने ससुराल  ,
वक्त थम सा गया था ,
कुछ पलों के लिए ,
भीग गयी  हैं आँखे 
हां अब वो मेरी लाल परी बड़ी होगई हैं ,
मेरी तो आँखों में तुम वेसी बसी हो,
पी- पी की आवाज के साथ के जूतों ,
और अपनी हट के साथ ,
कही भी रुक जाने की अपनी आदत सी 
हां अस्त -व्यस्त हैं तुम्हारे कपडे 
और गोद में थामे हो अपना स्नेह 
तुम बड़ी होगयी हो मुझसे कई गुना ,
तुम्हारी बातो में अब सिर्फ संसार घूमता हैं ,
लेकिन में वही खड़ी हूँ 
तुमसे बहुत पीछे तन्हा ,
मेरे जीवन में तुम सब सा कुछ भी नहीं 
हां , खुश रहो अपने संसार में तुम 
ये ही दुआ हैं मेरी 
हां तुम अब बड़ी हो गयी हो मुझसे बहुत
मेरी लाल परी



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निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................