मंगलवार, 21 जून 2011

खुबसूरत दुआ

                    ना जाने कितनी बार मेने दुआ पड़ी होंगी ,
लेकिन इससे खुबसूरत दुआ आज तक नहीं पड़ी |,
क्या गीता ,क्या रामायण कहे सब एक ही बात ईश्वर सदा कर मेरी आत्मा में निवास
                                                                अनुभूति

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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................