शनिवार, 18 जून 2011

मेरे कोस्तुभ धारी के श्री चरणों में एक गीत

मेरे कोस्तुभ धारी के श्री चरणों में एक गीत ,
मेरे कृष्णा!
  पूजा में लगने वाला वो रक्त बिंदु
तुम्हारा मेरी आत्मा पे एक छत्र स्वामित्व का एहसास करता हैं 
और आत्मा से तन, मन के समर्पण को स्वीकार करता हैं |
             अनुभूति

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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................