मेरे भगवान !
मेरे कान्हा! मेरे कोस्तुभ धारी !
के चरणों में एक अद्भुत गीत ,
एक पुकार अपने कन्हाई को ,
वही पुकार जो राधा ने अपने कृष्ण से की ,
सीता ने अपने राम से ,
और एक भक्त अपने भगवान से करता हैं
की जीवन में एक बार उसका साक्षात दर्शन हो |
मेरे कान्हा जी!
इस" अनुभूति "की इस संसार में और कोई इच्छा नहीं |
आप का दर्शन मेरी भक्ति और मेरा मोक्ष दोनों हैं |
और एक भक्त अपने भगवान से करता हैं
की जीवन में एक बार उसका साक्षात दर्शन हो |
मेरे कान्हा जी!
इस" अनुभूति "की इस संसार में और कोई इच्छा नहीं |
आप का दर्शन मेरी भक्ति और मेरा मोक्ष दोनों हैं |
में अपने आराध्य भगवान श्री कृष्ण जी से करती हूँ |
कन्हाई मेरी पुकार भी इस जीवन में सुन लो
जिस लोक में हो ये बावरी आप को कँहा खोजेगी |
आप को कान्हा जी !
श्री चरणों में अनुभूति
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