शनिवार, 28 मई 2011

तेरी भक्ति की शक्ति,


मेरे कोस्तुभ धारी!
मेरे
मुरली मनोहर !
तेरी
भक्ति की शक्ति,
तेरे विश्वास का उजाला ,मेरे चेहरे पे चमके ,
तेरे अनन्य अनुराग का तेज ,
मेरी रूह से झलके ,
कान्हा !तुझसे ये प्रीत जो जोड़ी ,
मेरा रोम -रोम कर दिया पावन ,
तेरी भक्ति की शक्ति ने
इन धवल वस्त्रो में ,मेरी आत्मा भी धवल हें|
प्रभु!मेरी आत्मा में बसे ,
तेरे अक्ष्णु विशवास की तरह , 
मेरे मस्तक के रक्त बिंदु की तरह
फैला जीवन में नव सृजन का ये उजाला
तेरे श्री चरणों में शीश नवा के |
ओ कोस्तुभ धारी!
पाकर आप को इस आत्मा में धन्य हुई |
आप के श्री चरणों में कान्हा जी


अनुभूति

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