एक भेट मेरे मित्र को सालो बाद अपने घर अपना बेटा होने की ख़ुशी में ,
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
मेरे मित्र ,
मेरे पास दुवाओं के सिवा ,
कुछ भी नहीं तुम्हे देने को ,
जानती हूँ सालो की इस वेदना को भोगा हैं ,
तुम्हारी पत्नी ने ,तुमने ,
मेने कँहा था तुमसे की ईश्वर जो भी देता हैं अपनी मर्जी से,
वो बहुत खुबसूरत और मासूम होता हैं |
और तुम लड़ते रहे मेरे ईश्वर से हमेशा .
वो बहुत कठिन परीक्षाएं लेता हैं ,
खुशनसीब हो जल्दी सफल होगये .
तुम उसकी परीक्षाओं में तुम .
ईश्वर इसी खूबसूरती से सदा तुम्हरा जीवन भरा रखे |
क्योकि अभी तो जीवन की बहुत परीक्षाएं बाकी हैं मेरे मित्र !
मेरी उस मासूम बहन को बहुत स्नेह देना |
तुम्हारे चाँद की सारी बलाएँ में अपने सर लेती हूँ |
सदा यूँ ही खुश रहो ,अपने अनुराग को यूँ ही सहेजते रहो .
,मुस्कराते रहो फूलो की तरह
अनुभूति
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