वो अमलतास ,
कोई पेड़ नहीं मेरे जस्बातो का घर हैं |
जिसके नीचे किया था ,
कभी दुष्यंत ने शकुन्तला से प्रणय निवेदन |
क्या हैं प्रेम अभी तक नहीं पूर्ण हुआ हैं ये अद्भुत विषय ?
सुनती रही कहानियाँ ,
पड़ती रही और कुछ आँखों से देखी,
लेकिन सबका अंतिम सत्य एक ही परिणिति होती हैं |
या तो जीवन भर का साथ ,
या जीवन भर की तपस्या ,
क्या ज्यादा अद्भुत हैं शायद !
राधा का विरह !
या उर्मिला का त्याग!
हमेशा से नारी त्याग और समर्पण करती ही रही,
दुष्यंत ने भुला दिया था अपनी शकुन्तला को ,
राधा के श्याम मथुरा के वासी हो गए ,
और लक्ष्मण चले गए अपना भातृतव स्नेह निभाने .
हमेशा से पुरुष कठोर ही रहा हैं नारी के मन के प्रति ,
हमेशा आसानी से मना लेना ,
मुस्कुरा के जीत लेना .
मिठास से दिल के दरवाजे खुलवा लेना |
और नारी हमेशा से करती आई हैं समर्पण
हमेशा साथ और स्नेह की अपेक्षा |
नहीं माँगा किसी समवेदन शील नारी ने
कोई खजाना .
वो तो सदा खुश ही रही प्रियतम की मुस्कुराहटों में
वो उर्मिला लाखो मिल दूर करती ही रही अपने लक्ष्मण की प्रतीक्षा ,
शकुन्तला ने दिया अपने स्नेह को जनम गुफाओं में ,
और राधा जीवन भर विरह की अग्नि में अश्रु बहाती रही ,
चाहे हो वो नागमती , चाहे कोई और उर्मिला .
सहने का वरदान शायद भगवती नारी को ही दिया हैं |
पुरुष तो स्नेह में भी जताता रहा अपने पुरुष होने का अधिकार |
हां मेरा वो अमलतास कोई पेड़ नहीं जस्बातो का घर हैं मेरे |
जँहा न जाने कब से मेरी आत्मा में तड़प रही हैं कितनी ही उर्मिलायें ,
नागमती और शकुन्तला |
हां ये वही देश हैं जँहा |
अपने आप को अंतिम अवस्था तक मिटा बनता हैं स्नेह
किसी नारी की किसी देवी के रूप में परिणिति |
हां मेरा वो अमलतास कोई पेड़ नहीं जस्बातो का घर हैं मेरे |
"अनुभूति "
5 टिप्पणियां:
अनुभूति जी आपकी रचना दिल को छू गई, पुरुषों को स्त्री की भावनाओं को, उसके त्याग को सदा महत्व देना और याद रखना चाहिए.
अनुभूति जी आपकी रचना दिल को छू गई, पुरुषों को स्त्री की भावनाओं को, उसके त्याग को सदा महत्व देना और याद रखना चाहिए.
अनुभूति जी आपकी रचना दिल को छू गई, पुरुषों को स्त्री की भावनाओं को, उसके त्याग को सदा महत्व देना और याद रखना चाहिए.
अनुभूति जी आपकी रचना दिल को छू गई, पुरुषों को स्त्री की भावनाओं को, उसके त्याग को सदा महत्व देना और याद रखना चाहिए.
अनुभूति जी आपकी रचना दिल को छू गई, पुरुषों को स्त्री की भावनाओं को, उसके त्याग को सदा महत्व देना और याद रखना चाहिए.
एक टिप्पणी भेजें