मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

प्रणय गीत

लिखती हूँ प्रणय गीत तुम्हे प्रिय कान्हा ,
 ये स्नेह समन्दर मेरे नाम कर
करदिया कृतार्थ तुमने इस पगली को 
बिंदिया ,चूड़ी, पायल और कंगन से,
खनका दिया दीवानी को ,
कभी लजाऊ अपने को ही देखके ,
तो कभी बहक जाऊ तुम्हे सोच के ,
ये मंद- मंद प्रीत तुम्हारी ,
कर देगी  जीवन का मेरे नव सृजन |

2 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

एक बार श्याम की दुल्हन बनने के बाद और क्या चाहिये।

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत गहन भक्ति और समर्पण भाव से ओतप्रोत सुन्दर प्रस्तुति..

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................