रविवार, 25 जुलाई 2010

पथ -प्रदर्शक



पथ -प्रदर्शक ! 

मै नहीं जानती थी ,
सब कुछ इतने कम समय में बदल जाएगा |

एक अल्हड लड़की,
या, मै यूँ काहूँ कि बहती नदी ,
यूँ ठहराव को पा लेगी .

सुकून उसकी सांसो में  होगा ,
और जिंदगी उसकी राहों मै .

अगर तुम ना मिलते यूँ  मुझे
तो ऐसा नहीं होता .

इतना ही कहूँगी बस,
अपना स्नेह ,ज्ञान और आशीष,
मुझ पर यूँ ही बरसाते रहना ,

मेरे मालिक
मेरे पथ -प्रदर्शक

मै आप को गुरु नहीं कहती ,
क्योकि आप तो साथी भी हो जिन्दगी के
इतना कहूँगी बस 
गोविन्द का रास्ता दिखाने वाले भी आप ही हो ,

इसलिए
लाखो बार नमन करती है  मेरी आत्मा
आप को 

मेरे मालिक

मेरे पथ -प्रदर्शक.

-- अनुभूति 

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................