पथ -प्रदर्शक !
मै नहीं जानती थी ,
सब कुछ इतने कम समय में बदल जाएगा |
एक अल्हड लड़की,
या, मै यूँ काहूँ कि बहती नदी ,
यूँ ठहराव को पा लेगी .
सुकून उसकी सांसो में होगा ,
और जिंदगी उसकी राहों मै .
अगर तुम ना मिलते यूँ मुझे
तो ऐसा नहीं होता .
इतना ही कहूँगी बस,
अपना स्नेह ,ज्ञान और आशीष,
मुझ पर यूँ ही बरसाते रहना ,
मेरे मालिक
मेरे पथ -प्रदर्शक
मै आप को गुरु नहीं कहती ,
क्योकि आप तो साथी भी हो जिन्दगी के
इतना कहूँगी बस
गोविन्द का रास्ता दिखाने वाले भी आप ही हो ,
इसलिए
लाखो बार नमन करती है मेरी आत्मा
आप को
मेरे मालिक
मेरे पथ -प्रदर्शक.
-- अनुभूति