मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम
मेरे हर ख्याल की ताबीर हो तुम
मेरे हर शब्द का अहसास हो तुम
हां कहो ,ना कहो मेरा विश्वास हो तुम
पूछोगे नहीं ,बिना देखे ,बिना मिले ,बिना बोले
इन साँसों मै कितना विशवास है
जितना तुम्हारी साँसों को तुम्हारी आत्मा से हैं |
मै जानती हूँ तुम कहोगे नहीं कभी इन पर्दों से बाहर,
फिर भी बिन कहे तुम्हारी उलझनों को मै समझती हूँ |
जानती हूँ सागर कभी अपनी मर्यादा नहीं तोड़ता .
लेकिन ये भी जानती हूँ जिस दिन तोड़ता हैं अपने साथ तूफ़ान लाता हैं |
मै खमोशी से तुम्हारे अन्दर चल रहे हर तूफ़ान को महसूस करती हूँ
फर्क इतना है हैं तुम सामनेआकर नहीं कहते और मै सरलता से हर अहसास को कह जाती हूँ |