एक ख्याल ही बन कर रहगए, तुम
मेरे सपनो के सोदागर
आज भी तेरता है एक सपना मेरी आँखों मै
तुम नहीं मिले मुझको ,इसलिए मेरे आँखों की नमी ने ज़िंदा रखा है उस सपनो से सोदागर को
मेरी तेरती आँखों मै
कहाँ हो तुम ?
आज भी इन्तजार है मेरी रूह मै बसने वाली सोलह साल की दीवानी को तुम्हारा
की तुम हर उसके हर अहसास को पद लोगे ,
समझ लोगे उसकी हर मुश्किल को
तुम नहीं खेलोगे उसके अहसासों से ,
क्योकि मेरे सपनो के सोदागर तुम तो पुरे इंसान होंगे ,
कब आओगे तुम?
और मुझको मुक्त करोगे जीवन की इन विडम्बनाओ से
अब तो आँखों की नमी भी कम होने लगी है
और उसकी जगह आंसुओ ने ले ली हैं
अब तो तुम बूंद बूंद बन कर इन आंखो से बहे जा रहे हो !
अब तो चले आओ
कही ऐसा ना हो की ये नमी भी सुख जाए
सुखी सरिता की तरह
चले आओ अब तो मेरे सपनो के सोदागर
चले आओ |