स्नेह को कभी समझा ही नहीं जा सकता
बस उसकी उठती रश्मियों को
आत्मा तक महसूस किया जा सकता हैं .
ये कैसा साथ है तुम्हारा !
जो हर पल, हर शब्द मेरा साथ देता भी है
और किसी को महसूस नहीं होने देता हैं |
बावरी हूँ मैं तुम्हारी.
कितनी उमंगें उठा देते हैं तुमहारे ये शब्द ,
जीने की एक नयी अदा देते हैं ,
बेजान पड़ी इस जिन्दगीं में ,
ये ही मेरा सत्य हैं, आनंद है |
तुम्हारा आलौकिक साथ !
-- अनुभूति
7 टिप्पणियां:
खूबसूरत शब्द और उतने ही खूबसूरत भाव...अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें...
नीरज
धन्यवाद |
sundar bhav, seemit shabdon mai behtar
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
waah !
ati sundar kaavya...........
khubsurat bhaav...
kunwar ji,
एक अलौकिक रचना!
कितनी उमंगें उठादेते हैं तुम्हारें ये शब्द ,
जीने की एक नयी अदा देते हैं बेजान पड़ी इस जिन्दगीं में ,
bhaavpoorn sundar rachna
aabhaar
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