मन के तार उसी से जुड़ते हैं ,
जो जाने मन
तन की परिभाषा से,
कोसो दूर हैं मन
ये जो जाने ,
वो ही जाने मन को |
मन दर्पण हो तो जाने मन ,
मन को
क्या कहू जब सब कुछ बिन
बोले ही समझ लेते हो इस मन को !
शुक्रवार, 9 जुलाई 2010
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तेरी तलाश
निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................
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