गुरुवार, 10 जून 2010

सांसो का एतबार

मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम
मेरे हर ख्याल की ताबीर हो तुम
  मेरे हर शब्द का अहसास हो तुम   
 हां कहो ,ना कहो मेरा विश्वास हो तुम
                        पूछोगे नहीं ,बिना देखे ,बिना मिले ,बिना बोले
                       इन साँसों मै कितना विशवास है
                       जितना तुम्हारी साँसों को तुम्हारी आत्मा से हैं |
                       मै जानती हूँ तुम कहोगे नहीं कभी इन पर्दों से बाहर,
                                            फिर भी बिन कहे तुम्हारी उलझनों को मै समझती हूँ |
                                              जानती हूँ सागर कभी अपनी मर्यादा नहीं तोड़ता .
                                        
लेकिन ये भी जानती हूँ जिस दिन तोड़ता हैं अपने साथ तूफ़ान लाता हैं |
                                            मै खमोशी से तुम्हारे अन्दर चल  रहे हर तूफ़ान को महसूस करती हूँ        
 फर्क  इतना है हैं तुम      सामनेआकर नहीं कहते और मै सरलता से हर अहसास को कह जाती हूँ |

4 टिप्‍पणियां:

pawan dhiman ने कहा…

...दिल की गहराई से निकले भाव!

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति....हमेशा की तरह...

संजय भास्‍कर ने कहा…

खूबसूरत चित्रों के साथ मन के भावों को बहुत सुन्दर लिखा है...

kunwarji's ने कहा…

ji bahut khoob...

kunwar ji.

तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................