बुधवार, 13 जनवरी 2010

सरिता पर बाँध

सालो से बाँध बना था सरिता के अहसासों पर
ही अन्दर कही कुछ घुट रहा था
हां ,तुमने ही तो तोड़ डाला है ये बाँध ,अपने स्नेह की असीम शक्ति से
और उसकी विशाल लहरों को दिया है अहसासों का नया आकाश
जीने की हसरते ,अपने सागर से मिलने का रास्ता |
तुमने ही तो सुनी पड़ी ,बाट जोहती दुल्हन को दिया है अपने प्रियतम से मिलने का वचन
हां तुम ही ने तो दिया है सरिता को नया ,आकाश नया जीवन |
खिल उठी है तुम्हारा असीम स्नेह पाकर सरिता
टूट गयी है सारी घुटन ,तुम्हारा चरण स्पर्श पाकर |
हां एक बार फिर हिलोरे मारने लगी है सरिता की लहरे
के झूम के वो कहउठी है तय है उसका सागर से मिलन |



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तेरी तलाश

निकला था तेरी तलाश में भटकता ही रहा हुआ जो सामना एक दिन आईने से , पता चला तू तो ,कूचा ए दिल में कब से बस रहा ................